उत्तराखंड में मौजूद कैंची धाम

बाबा नीम करोली महाराज के दर्शन करने के लिए लोग देश-विदेश से आते हैं


उत्तराखंड में मौजूद कैंची धाम मंदिर की लोकप्रियता इतनी है कि यहां बाबा नीम करोली महाराज के दर्शन करने के लिए लोग देश-विदेश से आते हैं नीम करोली महाराज को कलयुग में भगवान हनुमान का अवतार माना जाता हैइस जगह पर हनुमान जी को समर्पित एक मंदिर भी है, वहीं परिसर में ही बाबा नीम करोली का भी मंदिर और प्रार्थना कक्ष बनाया गया हैआश्रम और मंदिर शिप्रा नदी के तट पर बना हुआ है
 यहां एक समय मार्क जुकरबर्ग भी दर्शन करने के लिए आए थे। मार्क जुकरबर्ग और कैंची धाम के बीच के संबंधों का खुलासा पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सिलिकान वैली स्थित फेसबुक हेडक्वार्टर के दौरे के दौरान हुआ था पीएम और जुकरबर्ग के बीच आध्यामिक वार्ता का दौर भी चला। इस बातचीत के दौरान फेसबुक के सीईओ ने पीएम मोदी से अपनी भारत में अध्यात्मिक यात्रा के बारे में बताया था जुकरबर्ग ने कहा कि फेसबुक अच्छी स्थिति में नहीं था और वे काफी कोशिशों के बाद भी इसमें सुधार नहीं ला पा रहे थे। सूत्र बताते हैं कि मार्क उस समय बहुत निराश थे हालत यहां तक पहुंची थी कि मार्क फेसबुक बेचने तक का मन बना चुके थे तभी उनके गुरु और दिग्गज तकनीकी कंपनी एप्पल के संस्थापक स्टीव जॉब ने उन्हें भारत में जाकर एक मंदिर में कुछ वक्त रहकर अध्यात्म की शरण में जाने की सलाह दी थी। स्टीव से ही जुकरबर्ग को उत्तराखंड के नैनीताल जिले में स्थित कैंचीधाम आश्रम में आने की प्रेरणा मिली उसके बाद मार्क जुकरबर्ग कैंची आश्रम पहुंचे
 बल्कि एप्पल कम्पनी के संस्थापक स्टीव जॉब भी थे बाबा के भक्त, 1974 में आए थे धाम हाल ही में विराट कोहली और अनुष्का शर्मा भी कैंची धाम मंदिर में दर्शन करने पहुंचे थे। आप भी जानिए आखिर ये मंदिर और आश्रम आखिर इतना लोकप्रिय क्यों है। भारत के सर्वश्रेष्ठ सिद्ध योगियों में नीम करौली बाबा का नाम अग्रणी स्थान पर आता हैसैकड़ों लोगों ने उनकी योग शक्ति का कई बार अनुभव कियाउत्तर प्रदेश के तत्कालीन राज्यपाल वीवी गिरि, राज्यपाल राजा भद्री, केरल के राज्यपाल भगवान सहाय, उपराष्ट्रपति गोपालस्वरूप पाठक, गुलज़ारीलाल नंदा, पूर्व प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री, स्वतंत्रता सेनानी, राजनीतिज्ञ, लेखक कनैयालाल मुंशी, राजनेता जगन्नाथ प्रसाद रावत, प्रसिद्ध व्यवसायी जुगलकिशोर बिड़ला, कविवर सुमित्रानंदन पंत, हरिवंशराय बच्चन, वर्तमान एप्पल कंपनी के संस्थापक स्टीव जॉब्स, व्यवसायी डेनियल कोट्टके, फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग, अमेरिकी कंप्यूटर वैज्ञानिक और गूगल के सह-संस्थापक लॉरेंस एडवर्ड पेज ( लैरी पेज), मशहूर हॉलीवुड अभिनेत्री जूलिया रॉबर्ट्स जैसी कई महान हस्तियां नीब करौली बाबा से प्रभावित रही हैं। कहा जाता हैं कि यहां आने वाले हर श्रद्धालु की मनोकामना पूर्ण होती हैंएक समय एप्पल के संस्थापक स्टीव जॉब्स 1974 से 1976 के बीच आध्यात्मिक यात्रा के लिए भारत आए थेजब वह कैंची धाम आश्रम पहुंचे तब बाबा समाधि ले चुके थेकहते हैं कि एप्पल के Logo का आइडिया उन्हें बाबा के आश्रम से ही मिला था। कैंची धाम नैनीताल अल्मोडा मार्ग पर नैनीताल से लगभग 17 किलोमीटर एवं भवाली से 9 किलोमीटर पर अवस्थित है । इस आधुनिक तीर्थ स्थल पर बाबा नीब करौली महाराज का आश्रम है
नीम करोली या नीब करौरी बाबा की गिनती 20वीं सदी के महान संतों में की जाती हैधाम परिसर मे ही मंदिर के निकट एक गुफा भी है जहाँ बाबा नीब करोरी अपना समय ध्यान और तप में व्यतीत करते थे इस कारण इस गुफा को एक पवित्र क्षेत्र माना जाता हैमंदिर का यह नाम (कैंची) धाम यहाँ के दो तीक्ष्ण मोड़ो शार्प यू-टर्न की वजह से रखा गया है, जो प्रायः कैंची के आकार के दिखाई देते हैंबाबा नीब करौरी महाराज जी को हनुमान जी का अवतार माना जाता हैकई पुस्तकों में बाबा नींब करौरी महाराज जी के अनेको चमत्कारों का वर्णन भी हैभक्त बताते हैं कि बाबा नीब करौरी महाराज जी को कैंची धाम से विशेष लगाव थाहर साल 15 जून को कैंची धाम के स्थापना दिवस के रूप में मनाया जाता है
 नीम करौली बाबा का जन्म उत्तरप्रदेश के फिरोजाबाद जिले के अकबरपुर में रहने वाले एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था 11 वर्ष की उम्र में ही उनका विवाह एक ब्राह्मण कन्या के साथ कर दिया गया थापरन्तु शादी के कुछ समय बाद ही उन्होंने घर छोड़ दिया और साधु बन गए
और गुजरात के मोरबी से 35 किलोमीटर दूर ववानिया गांव गयेवह यहां सात साल तक रहेवहा बैठकर तपस्या और तप किया करते थे वहां एक छोटा-सा मंदिर बनवाया गया और उसमें हनुमानजी की मूर्ति स्थापित की गईइस स्थान पर योग साधना करते समय, उन्हें अपने आराध्य भगवान श्री हनुमानजी का साक्षात्कार हुआ और उन्होंने योग सिद्धियाँ प्राप्त करना शुरू कर दियाइस हनुमान मंदिर का अब जीर्णोद्धार किया गया हैयहां एक विशाल, भव्य हनुमान मंदिर और एक पुनर्निर्मित आश्रम है
वे ववानिया से तीर्थयात्रा करते हुए नीब करौरी गांव आयेवह कई वर्षों तक वहां रहे इसलिए वह नीब करौरी के बाबा के रूप में प्रसिद्ध हो गएनैनीताल के कैंची धाम में उनका आश्रम बनने के बाद वे अपना ज्यादातर समय यहीं बिताते थे माना जाता है कि लगभग 17 वर्ष की उम्र में उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हो गई थीघर छोड़ने के लगभग 10 वर्ष बाद उनके पिता को किसी ने उनके बारे में बतायाजिसके बाद उनके पिता ने उन्हें घर लौटने और वैवाहिक जीवन जीने का आदेश दियावह तुरंत ही घर लौट आएकालांतर में उनके दो पुत्र तथा एक पुत्री उत्पन्न हुएगृहस्थ जीवन के दौरान उन्होंने अपने आपको सामाजिक कार्यों में व्यस्त रखा1962 के दौरान नीम करौली बाबा ने कैंची गांव में एक चबूतरा बनवायाजहां पर उन्के साथ पहुंचे संतों ने प्रेमी बाबा और सोमबारी महाराज ने हवन कियानीम करौली बाबा हनुमानजी के बहुत बड़े भक्त थेउन्हें अपने जीवन में लगभग 108 हनुमान मंदिर बनवाए थेवह आडंबरों से दूर रहते थे एकदम आम आदमी की तरह जीने वाले बाबा अपना पैर भी छूने नहीं देते थेवे हनुमान जी के पैर छूने को कहते थेवर्तमान में उनके हिंदुस्तान समेत अमरीका के टैक्सास में भी मंदिर हैबाबा ने अपनी समाधि के लिए वृन्दावन की पावन भूमि को चुनाउनकी मृत्यु 11 सितम्बर 1973 को हुईउनकी याद में आश्रम में उनका मंदिर बनवाया गया और एक प्रतिमा भी स्थापित की गई
बाबा को वर्ष 1960 के दशक में अन्तरराष्ट्रीय पहचान मिलीउस समय उनके एक अमरीकी भक्त बाबा राम दास ने एक किताब लिखी जिसमें उनका उल्लेख किया गया थाइसके बाद से पश्चिमी देशों से लोग उनके दर्शन और आर्शीवाद लेने के लिए आने लगेनीम करौली बाबा सिर्फ देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी अपने चमत्कार के कारण जाने जाते हैंफेसबुक और एप्पल के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग स्टीव जॉब्स को राह दिखाने वाले नीम करौली बाबा पश्चिमी देशों में भारत की विरासत का प्रतिनिधित्व करते हैंउनके आश्रम में जहां केवल देशवासियों को ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया को प्रसन्न और खुशहाल बनने का रास्ता मिलता हैवहीं दूसरी ओर प्राचीन सनातन धर्म की संस्कृति का भी प्रचार प्रसार होता हैबताया जाता है कि हनुमान जी की कड़ी उपासना करने के बाद ही उन्हें चमत्कारिक सिद्धियां प्राप्त हुई थींलोकप्रिय लेखक रिचर्ड अल्बर्ट नेमिरेकल ऑफ लवनाम से बाबा पर लिखी पुस्तक में उनके चमत्कारों का वर्णन किया हैसिर्फ यही नहीं हॉलीवुड अभिनेत्री जूलिया राबर्ट्स, एप्पल के संस्थापक स्टीव जॉब्स और फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग सहित कई अन्य विदेशी हस्तियां बाबा के भक्त हैं बाबा नीब करौरी महाराज जी ने 15 जून 1964 को कैंची धाम में हनुमान जी की प्रतिमा की प्रतिष्ठा की थीइस दिन देश-विदेश से यहां लोग बाबा के दर्शन करने और पावन प्रसाद को ग्रहण करने आते हैंभक्तों के दर्शन के लिए सुबह 9 बजे से 5 बजे तक मंदिर के कपाट खुले रहते हैऊँचे पहाड़ों पर बड़े, हरे-भरे पेड़ों के बीच श्री हनुमान जी के ही रंग में सराबोर मंदिर, और बगल में कल-कल ध्वनि की मधुर धुन में बहती हुई नदी का जल इस धाम को और भी शांत, दिव्य और मनोरम बनाता हैकैंची धाम कोसी नदी के किनारे बना हुआ हैमंदिर परिसर के अंदर फोटोग्राफी करना मना ही हैगोस्वामी तुलसी दास जी के बाद कलयुग मे श्री महावीर हनुमान ने नीब करौरी बाबा को ही प्रत्यक्ष दर्शन दिए थेबाबा नीम करोली की सोमवारी महाराज पर असीम संस्था की आस्था थीनीम करोली महाराज द्वारा स्थापित वर्तमान कैंची धाम पहले सोमवारी महाराज की धूनी का स्थान रहा हैयहां एक कंदरा में सोमवारी बाबा ने प्रवास भी किया था
अल्मोड़ा के मार्ग में खैरना से आगे काकड़ी घाट नामक स्थान पड़ता हैकाकड़ी घाट का प्राचीन महत्व हैयहाँ पर एक पुराना शिव मन्दिर हैbअल्मोड़ा की ओर जाने वाले मार्ग पर खैरना कस्बे से आगे कोसी नदी के तट पर काकड़ीघाट महान सिद्ध संत सोमवारी बाबा की साधना स्थली रहा
शिवालय में पीपल वृक्ष के नीचे स्वामी विवेकानंद को भाव समाधि में ज्ञान प्राप्त हुआ थास्वामी विवेकानंद के कारण चर्चित हुआ यह प्रसिद्ध स्थल सोमवारी बाबा आश्रम से थोड़ा ही पहले कोसी और सिरौता नदियों के संगम पर श्मशान पर स्थित हैस्वामी विवेकानंद स्नान करने के बाद पीपल के पेड़ के नीचे ध्यान करने बैठेवहां की सकारात्मक तरंगों अद्भुत ऊर्जा की अनुभूति से उनके कदम पीपल के विशाल पेड़ की ओर बढ़े थेध्यान में एक घंटा बीत जाने के बाद स्वामी जी ने अखंडानंद से कहा देखो गंगाधर इस वृक्ष के नीचे एक अत्यंत शुभ मुहूर्त बीत गया हैआज एक बड़ी समस्या का समाधान हो गया हैमैंने जान लिया कि समष्टि और व्यष्टि (विश्व ब्रह्माण्ड तथा अणु ब्रह्माण्ड) दोनों एक ही नियम से परिचित होते हैंअणु ब्रह्माण्ड और विश्व ब्रह्माण्ड की एक ही नियम से संरचना हुई हैजिसबोधि वृक्षसरीखे पीपल वृक्ष के नीचे स्वामी विवेकानन्द कोपिण्ड में ब्रह्माण्ड का ज्ञानप्राप्त हुआ था, उस स्थान का नामकाकड़ीघाटहैउन्होंने अपनी अनुभूति की कुछ अन्य बातें भी अखंडानंद को बताई शिवालय में पीपल वृक्ष के नीचे स्वामी विवेकानंद को भाव समाधि में ज्ञान प्राप्त हुआ था। स्वामी विवेकानंद स्नान करने के बाद पीपल के पेड़ के नीचे ध्यान करने बैठे वहां की सकारात्मक तरंगों अद्भुत ऊर्जा की अनुभूति से उनके कदम पीपल के विशाल पेड़ की ओर बढ़े थे ध्यान में एक घंटा बीत जाने के बाद स्वामी जी ने अखंडानंद से कहा देखो गंगाधर इस वृक्ष के नीचे एक अत्यंत शुभ मुहूर्त बीत गया है। आज एक बड़ी समस्या का समाधान हो गया है
एस तरह उत्तराखंड में कैंची धाम नीम करोली महाराज ओर कीकड़ी घाट का अद्भुत महत्व