[1] भगवान श्री गणेश का बीज मंत्र :-
सभी देवों में सबसे पहले पूजे जाने वाले देव श्री गणेश का बीज मंत्र ” गं ” है | इस बीज मंत्र के नियमित जप से बुद्धि का विकास होता है और घर में धन संपदा की वृद्धि होती है |
[2] भगवान शिव का बीज मंत्र :-
भगवान शिव का बीज मंत्र है : – ” ह्रौं ” भगवान शिव के इस बीज मंत्र के जप से भोलेनाथ अतिशीघ्र प्रसन्न होते है | इस बीज मंत्र के प्रभाव से अकाल मृत्यु से रक्षा होती है व रोग आदि से छुटकारा मिलता है |
[3] भगवान श्री विष्णु का बीज मंत्र :-
भगवान श्री विष्णु का बीज मंत्र ” दं ” है | जीवन में हर प्रकार के सुख और एश्वर्य की प्राप्ति हेतु इस बीज मंत्र द्वारा भगवान श्री विष्णु की आराधना करनी चाहिए |
[4] भगवान श्री राम का बीज मंत्र :-
भगवान श्री राम का बीज मंत्र ” रीं ” है जिसे भगवान श्री राम के मंत्र के शुरू में प्रयोग करने से मंत्र की प्रबलता और भी अधिक हो जाती है भगवान श्री राम के बीज मंत्र/Beej Mantra को इस प्रकार से प्रयोग कर सकते है : रीं रामाय नमः
[5] हनुमान जी का बीज मंत्र :-
भगवान श्री राम के परम भक्त हनुमान जी आराधना कलियुग के समय में शीघ्र फल प्रदान करने वाली है | ऐसे में बीज मंत्र द्वारा उनकी आराधना आपके सभी दुखों को हरने में सक्षम है | हनुमान जी का बीज मंत्र है : ” हं ” |
[6] भगवान श्री कृष्ण का बीज मंत्र :-
भगवान श्री कृष्ण का बीज मंत्र “ क्लीं ” है जिसका उच्चारण अकेले भी किया जा सकता है व भगवान श्री कृष्ण के वैदिक मंत्र के साथ भी | इस बीज मंत्र का प्रयोग इस प्रकार से करें : ” क्लीं कृष्णाय नमः ” |
[7] माँ दुर्गा का बीज मंत्र :-
शक्ति स्वरुप माँ दुर्गा का बीज मंत्र ” दूं ” जिसका अर्थ है : हे माँ, मेरे सभी दुखों को दूर कर मेरी रक्षा करो |
[8] माँ काली का बीज मंत्र :-
जीवन से सभी भय , ऊपरी बाधाओं , शत्रुओं के छूटकारा दिलाने में माँ काली के बीज मंत्र द्वारा उनकी आराधना विशेष रूप से लाभ प्रदान करने वाली है | माँ काली का बीज मंत्र है : ” क्रीं ” |
[9] देवी लक्ष्मी का बीज मंत्र :-
देवी लक्ष्मी को स्वाभाव से चंचल माना गया है इसलिए वे अधिक समय के लिए एक स्थान पर नहीं रूकती | घर में धन-सम्पति की वृद्धि हेतु माँ लक्ष्मी के इस बीज मंत्र द्वारा आराधना से लाभ अवश्य प्राप्त होता है | देवी लक्ष्मी का बीज मंत्र है : ” श्रीं ” |
[10] देवी सरस्वती का बीज मंत्र : –
माँ सरस्वती विद्या को देने वाली देवी है जिनका बीज मंत्र ” ऐं ” है | परीक्षा में सफलता के लिए व हर प्रकार के बौद्धिक कार्यों में सफलता हेतु माँ सरस्वती के इस बीज मंत्र का जप प्रभावी सिद्ध होता है |
परमपिता परमेश्वर ब्रह्म का बीज मंत्र :-
कुछ बीज म ऐसे भी है जो सूचक है उस परमपिता परमेश्वर के जो समस्त ब्रम्हांड के रचियता , पालनकर्ता और रक्षक है | ये बीज मंत्र इस प्रकार है : ” ॐ ” खं ” कं ” | ये तीनों बीज मंत्र ब्रह्म वाचक है |
(1) "गं" गणेश बीज :
यह गणपति का बीज मंत्र है। विघ्नों को दूर करने तथा धन-संपदा की प्राप्ति के लिए पीले रंग के आसन पर उत्तराभिमुख बैठकर रुद्राक्ष की माला से नित्य एक हजार बार जप करने से लाभ मिलता है ||
(2) “ऐं” सरस्वती बीज :
यह मां सरस्वती का बीज मंत्र है, इसे वाग् बीज भी कहते हैं। जब बौद्धिक कार्यों में सफलता की कामना हो, तो यह मंत्र उपयोगी होता है। जब विद्या, ज्ञान व वाक् सिद्धि की कामना हो, तो श्वेत आसान पर पूर्वाभिमुख बैठकर स्फटिक की माला से नित्य इस बीज मंत्र का एक हजार बार जप करने से लाभ मिलता है ||
(3) “ह्रीं” भुवनेश्वरी बीज :
यह मां भुवनेश्वरी का बीज मंत्र है। इसे माया बीज कहते हैं। जब शक्ति, सुरक्षा, पराक्रम, लक्ष्मी व देवी कृपा की प्राप्ति हो, तो लाल रंग के आसन पर पूर्वाभिमुख बैठकर रक्त चंदन या रुद्राक्ष की माला से नित्य एक हजार बार जप करने से लाभ मिलता है ||
(4) “क्लीं” काम बीज :
यह कामदेव, कृष्ण व काली इन तीनों का बीज मंत्र है। जब सर्व कार्य सिद्धि व सौंदर्य प्राप्ति की कामना हो, तो लाल रंग के आसन पर पूर्वाभिमुख बैठकर रुद्राक्ष की माला से नित्य एक हजार बार जप करने से लाभ मिलता है ||
(5) “श्रीं” लक्ष्मी बीज :
यह मां लक्ष्मी का बीज मंत्र है। जब धन, संपत्ति, सुख, समृद्धि व ऐश्वर्य की कामना हो, तो लाल रंग के आसन पर पश्चिम मुख होकर कमलगट्टे की माला से नित्य एक हजार बार जप करने से लाभ मिलता है ||
(6) "ह्रौं" शिव बीज :
यह भगवान शिव का बीज मंत्र है। अकाल मृत्यु से रक्षा, रोग नाश, चहुमुखी विकास व मोक्ष की कामना के लिए श्वेत आसन पर उत्तराभिमुख बैठकर रुद्राक्ष की माला से नित्य एक हजार बार जप करने से लाभ मिलता है ||
(7) "श्रौं" नृसिंह बीज :
यह भगवान नृसिंह का बीज मंत्र है। शत्रु शमन, सर्व रक्षा बल, पराक्रम व आत्मविश्वास की वृद्धि के लिए लाल रंग के आसन पर दक्षिणाभिमुख बैठकर रक्त चंदन या मूंगे की माला से नित्य एक हजार बार जप करने से लाभ मिलता है ||
(8) “क्रीं” काली बीज :
यह काली का बीज मंत्र है। शत्रु शमन, पराक्रम, सुरक्षा, स्वास्थ्य लाभ आदि कामनाओं की पूर्ति के लिए लाल रंग के आसन पर उत्तराभिमुख बैठकर रुद्राक्ष की माला से नित्य एक हजार बार जप करने से लाभ मिलता है ||
(9) “दं” विष्णु बीज :
यह भगवान विष्णु का बीज मंत्र है। धन, संपत्ति, सुरक्षा, दांपत्य सुख, मोक्ष व विजय की कामना हेतु पीले रंग के आसन पर पूर्वाभिमुख बैठकर तुलसी की माला से नित्य एक हजार बार जप करने से लाभ मिलता है ||