शरीर संरचना में इस स्थान पर अनेक महत्वपूर्ण विद्युतीय और जैवीय विद्युत का संग्रह है। यही मोक्ष का द्वार है।
बीजाक्षरों का संक्षिप्त कोष :
ऊँ—प्रणव, ध्रव, तैजस बीज है।
ऐं—वाग् और तत्त्व बीज है।
क्लीं—काम बीज है।
हो—शासन बीज है।
क्षि—पृथ्वी बीज है।
प—अप् बीज है।
स्वा—वायु बीज है।
हा:—आकाश बीज है।
ह्रीं—माया और त्रैलोक्य बीज है।
क्रों—अंकुश और निरोध बीज है।
आ—फास बीज है।
फट्—विसर्जन और चलन बीज है।
वषट्—दहन बीज है।
वोषट्—आकर्षण और पूजा ग्रहण बीज है।
संवौषट्—आकर्षण बीज है।
ब्लूँ—द्रावण बीज है।
ब्लैं—आकर्षण बीज है।
ग्लौं—स्तम्भन बीज है।
क्ष्वीं—विषापहार बीज है।
द्रां द्रीं क्लीं ब्लूँ स:—ये पांच बाण बीज हैं।
हूँ—द्वेष और विद्वेषण बीज है।
स्वाहा—हवन और शक्ति बीज है।
स्वधा—पौष्टिक बीज है।
नम:—शोधन बीज है।
श्रीं—लक्ष्मी बीज है।
अर्हं—ज्ञान बीज है।
क्ष: फट्—शस्त्र बीज है।
य:—उच्चाटन और विसर्जन बीज है।
जूँ—विद्वेषण बीज है।
श्लीं—अमृत बीज है।
क्षीं—सोम बीज है।
हंव—विष दूर करने वाला बीज है।
क्ष्म्ल्व्र्यूं— पिंड बीज है।
क्ष—कूटाक्षर बीज है।
क्षिप ऊँ स्वाहा—शत्रु बीज है।
हा:—निरोध बीज है।
ठ:—स्तम्भन बीज है।
ब्लौं—विमल पिंड बीज है।
ग्लैं—स्तम्भन बीज है।
घे घे—वद्य बीज है।
द्रां द्रीं—द्रावण संज्ञक है।
ह्रीं ह्रूँ ह्रैं ह्रौ ह्र:—शून्य रूप बीज हैं।